मैं तो तेरे साथ प्रिय,
रब जुदा जिस्म से कर डाला,
कैसे रूह का रूप दिखाऊँ,
तुझे बनाऊं मतवाला।
हमपर लाखों पहरे कलतक,
आज ना कोई है बंदिश,
मगर जिस्म के बिना मैं पगली,
तेरे प्रेम से है बंचित,
गम की दरिया तेरी किश्ती,
मैं थी तेरी एक आशा,
चौखट तू गमगीन जश्न का,
मुझ बिन सुनी मधुशाला
अब ना हुश्न हमारा साथी,
ना कजरारी आँखे हैं,
ना लहराती मेरी जुल्फें,
महक भरी ना साँसे हैं,
तुमको शांत करूँ अब कैसे,
मय की टूटी मैं प्याला,
कैसे रूह का रूप दिखाऊँ,
तुझे बनाऊं मतवाला।
काश कि जिस्म हमारी होती,
तुमको गले लगा लेती,
रोते दिल की महफ़िल फिर से,
खुशियों से महका देती,
तेरी तड़प सही ना जाए,
रूह हमारी जलती है,
बिना जिस्म के पगली जैसी,
हालत मेरी रहती है,
कितना प्यार तुझे करती मैं,
तुझे बताऊँ मैं कैसे,
कितना तड़पायी मैं तुमको,
उसे भुलाऊं मैं कैसे,
आज खड़ी मैं तेरे आगे,
आँसूं पोछ नहीं सकती,
तेरी दुनियाँ छीन के रब से,
वापस ला भी नहीं सकती,
बस कर रोना मुझे भुला दो,
मैं ना तेरी अब हाला,
कैसे रूह का रूप दिखाऊँ,
तुझे बनाऊं मतवाला।
!!! मधुसूदन !!!
Ati sundar👧👌👌
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Dhanyawaad aapka….
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अति सुंदर … सर
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धन्यवाद पूनम जी—-
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Nice sir….. 👌👌
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Dhanyawaad aapka aapko pasand aayaa.
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Welcome sir…. 🙏🙏
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Amazing
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Thank you very much……
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बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति की है मधुसूदन जी। लेखनी का जवाब नहीं है।
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धन्यवाद आपका —-समय निकाल हौसला बढ़ाने से नहीं चुकती आप।धन्यवाद आपका।
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ऐसा ही होना चाहिए। लिखने से ज्यादा पढना अच्छा लगता है और ज्ञान भी मिलता है।
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Dhanyawaad aapka..
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वाह वाह सर् जी क्या बात 😊😊
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धन्यवाद सपना जी आपका।
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बहुत खूब !!!
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Dhanyawaad aapka…
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वाह , बढ़िया 👍👍👍😊
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आपके हौसला बढ़ाते शब्द वाह—सुक्रिया।
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Beautiful .I got mesmerized by words ,emotions and thoughts 👏
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Thanks for your great comments…
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Your welcome sir😃
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खूबसूरत
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Thank you very much…
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