Nafrat Ka Khel

मिलकर दुर्गंध मिटा देंगे,धरती तो जन्नत सा होगा,
जिह्वा जिनकी जहर भरी,उस दानव का फ़िर क्या होगा?

हम मुर्ख हैं हम अज्ञानी हैं,
हम लापरवाही करते हैं,
अपनी सुन्दर सी धरती को,
सच है गन्दा हम करते हैं,
पर देश से नफरत नहीं हमें,
है नाज हमें उन सैनिक पर,
वे गोली खाते रहते हैं,
हम सोते रहते बिस्तर पर,
उनकी हर एक शहादत पर,
हम खून की आंसू रोते हैं,
वे लड़ते रहते सरहद पर,
हम चैन की साँसे लेते हैं,
फिर उनको कोई गाली दे,उस गंदे जीभ का क्या होगा?
जिह्वा जिनकी जहर भरी,उस दानव का फ़िर क्या होगा?

कश्मीर को ब्राह्मण छोड़ दिए,
निर्लज इसपर भी कुछ बोलो,
सब मिलकर जुल्म किये उनपर,
ऐ अंधे आँख ज़रा खोलो,
तन गन्दा साफ़ करेंगे हम,
मन गंदा साफ़ करें कैसे,
तेरी विषधर उस जिह्वा को,
हम मिलकर साफ़ करें कैसे,
दो दिन की दोषारोपण है,
इस लोकतंत्र की दुनियाँ में,
दुःख है सब तुझे भुला देंगे,
हम तुमको माफ़ करें कैसे,
हम सजग बनेंगे सब हिंदी,
हम लापरवाही छोड़ेंगे,
सब गंध मिटा इस धरती को,
हम स्वर्ग बना कर छोड़ेंगे,
पर गंध जिगर जिनकी फैली,उस जिह्वा का फिर क्या होगा?
जिह्वा जिनकी जहर भरी,उस दानव का फ़िर क्या होगा?

ऐ भारत के रखवाले सुन,
अब और ना देर लगाओ तुम,
ऐसी जिह्वा जो काट सके,
वैसी क़ानून बनाओ तुम,
अब औऱ ना सोंच बिचार करो,
ये टुकड़े जग का कर देंगे,
हम भाई में जो प्रेम बचा,
ये सब में नफरत भर देंगे,
हम साफ़ करेंगे धरती को,इस नफरत का फिर क्या होगा?
जिह्वा जिनकी जहर भरी,उस दानव का फ़िर क्या होगा?

!!! मधुसुदन !!!

29 thoughts on “Nafrat Ka Khel

  1. अच्छा किया आपने अपने क्रोध को जतला दिया। हमें मालूम है आप किस बात को लेकर क्रोधित है, कल की ही तो बात है कितना शर्मनाक बयान दिया है आज़म खां ने..

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    1. बिलकुल सही —–हमने उन तमाम लोगों को जवाब दिया है जो अपनी महत्वाकांक्षा सिद्धि हेतु देश और नागरिक यहां तक की देश की रक्षा करनेवाले सैनिको को भी नहीं बकस्ते।

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  2. ये नफरत का खेल राजनीतिक दल और नेता शुरू से खेलते आएं हैं अभी तो खैर चरम पर है।सत्तालोलुप दल केवल जनता को विभाजित कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं।

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    1. बिलकुल सही कहा आपने।सुक्रिया आपने पसंद किया और अपनी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी।

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  3. सच में सर राजनीतिक दल [ पक्ष और विपक्ष ] सिर्फ अपने लिए राजनीती में है जनता के लिए नहीं
    बहुत अच्छी सोच है सर , अभिनन्दन

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    1. बिलकुल—-शासनकर्ता सिर्फ शासन करना जानता है जिसके लिए वह अपने बाप को भी दांव पर लगा देगा—-उसके लिए देश क्या चीज है।

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  4. आपकी रचना हमारे गुस्से को सार्थक रंग रूप देती है…. लिखते रहिए।

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    1. लिखना सार्थक हुआ।सुक्रिया आपका आपने दर्द को समझा एवं प्रतिक्रिया ब्यक्त किया।

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