Image credit:google
सिकन्दर हार गया,
बादशाह मकदूनिया का था,विश्वविजय अरमान,
झेलम नद के पास में आकर टूट गया अभिमान,
सिकन्दर हार गया,
हैं कहते जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
उत्तर में यूनान अवस्थित,
मकदूनिया एक राज्य,
चला सिकन्दर पूर्व दिशा में,
भारी सेना साज,
थिब्स,मिश्र,इराक हराते,
फौज बढ़ा हिरात से आगे,
समरकन्द,काबुल को जीता,
बदला लिया ईरान से जाके,
आगे भारतवर्ष की सीमा,
जहाँ पर फौज जमाया था,
तक्षशिला गद्दार बना,
आम्भिक ने हाथ मिलाया था,
आगे झेलम नदी अवस्थित,पुरुवंश का राज्य,
पुरु से हार गया,
हैं कहते जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
जाटों का राजा था पोरस,
जिसकी शक्ति जान लिया,
दूत रूप में चला सिकन्दर,
कूटनीति का राह लिया,
पोरस का दरबार सजा था,
दूत सिकंदर पास खड़ा,
पोरस ने पहचाना फिर भी,
दूत को खूब सम्मान दिया,
दूत भेषधारी सिकंदर,
राजा का फरमान सुनाया,
तरह-तरह से पुरु डराकर,
संधि का प्रस्ताव सुनाया,
यह सुनकर पोरस मुश्काये,
अपनी हस्ती वे समझाए
खुद को पहरेदार बताकर,
भारत माँ का शान बढ़ाये,
बोले देश के दुश्मन को,स्वागत करती तलवार,
पुरु से हार गया,
हैं कहते जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
दूत को भोजन कक्ष बिठाए,
राजा सा सम्मान दिलाये,
सोने की थाली में उसको,
सोने की रोटी दिलवाए,
बोले महंगी भोग लगी है,
क्यों मिटती ना भूख तुझे,
अन्न से पेट इंसान भरे,
सोने,चांदी की भूख तुझे,
कितने अबतक शहर उखाड़े,
मित्र सिकंदर बोलो तुम,
कितने घर मे आग लगा दी,
भूख ये कैसी बोलो तुम,
खुद की सुन पहचान सिकंदर,
अंदर-अंदर हिल गया,
हमे बना ले ना ये बंदी,
कंठ अचानक सुख गया,
मगर सिकंदर को छोड़ा,सम्मान सहित सम्राट,
पुरु से हार गया,
कहते हैं जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
आते सैनिक को ललकारा,
झेलम तट के पास गया,
उधर फौज पोरस की ततपर,
जंग को थी तैयार खड़ा,
जंग हुआ झेलम के तटपर,
पोरस ने संग्राम किया,
अपने सैनिक को ललकारा,
महाविनाश एलान किया,
पोरस के सैनिक और हाथी,
उधम मचाया रणभूमि,
देख सिकंदर,उसके सैनिक,
हक्का-बक्का रणभूमि,
वीरों जैसा लड़ा सिकन्दर,
सच में उस संग्राम में,
मगर निहत्था बन बैठा था,
पोरस संग संग्राम में,
गर्दन पर भाला फिर भी,
पोरस ने जीवनदान दिया,
देश के संग-संग पोरस ने,
राखी का भी सम्मान किया,
वीर सिकन्दर की एक रानी,
भाई उसे बनाई थी,
पोरस भी राखी के बदले,
अपनी वचन निभाई थी,
हारा फिर यूनान,सिकन्दर,
जाटों के सम्राट से,
मगर कहानी पलट के रख दी,
लेखक सब यूनान के,
पोरस के सेना के आगे बचा ना कुछ भी शान,
पुरु से हार गया,
हैं कहते जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
पोरस सैनिक बीस हजार,
दुगुने सैन्य सिकंदर के,
मगर किनारे भारत के दम,
निकला वीर सिकंदर के,
पोरस की सीमा से सीमा,
धनानंद की सटी हुई,
साढ़े तीन लाख की सेना,
मगध द्वार पर सजी हुई,
अगर हराया पोरस को फिर,
मगध से क्यों ना जंग किया,
भारत के सीमा से वापस,
जाने का क्यों प्रण किया,
जो भागा भारत से कैसे,
विश्व विजेता कहलाया,
लेखक सब थे यमन के,
झूठी मान,प्रतिष्ठा दिखलाया,
प्लूटार्क लेखक यूनानी,लिखा सच इतिहास,
पुरु से हार गया,
हैं कहते जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
कुछ अपवाद को छोड़ के देखो,
भारत ने इतिहास दिया,
अगर निहत्था दुश्मन रण में,
वीर कभी ना वार किया,
जितने भी आक्रांता थे,
संग यमनो का इतिहास लिखा,
जंग जितना छल से बल से,
निःशस्त्रों पर भी वार किया,
मकदूनिया से भारत तक,
उत्तपात मचाया आने में,
कितने शहर उजड़ गए,
तमगा विश्वविजेता पाने में,
झेलम के तट विश्वविजेता,
का सब सपना चूर हुआ,
भारत के सीमा पर ही,
यमनो का हिम्मत चूर हुआ,
वार निहत्थों पर ना करते,
हिन्द के वीर महान,
नगर के नगर उजाड़ सिकन्दर,कैसे बना महान..?
पुरु से हार गया,
हैं कहते जिसे महान,सिकन्दर हार गया।
था लौटा अपने राज्य,सिकन्दर हार गया।
!!! मधुसूदन !!!
ज्ञान के खान हो
लेखन मे बड़े महान हो
सुप्रभात
LikeLiked by 1 person
kya baat…….bahut badi baat kah di apne……sukriya apne pasand kiya aur saraha…..
LikeLiked by 1 person
Beautifully written! Puru lost the war but he was victorious in so many other ways.
LikeLiked by 1 person
thanks for your valuable comments.
LikeLike
बहुत ही खूबसूरत ऐतिहासिक कविता। 👌
LikeLiked by 1 person
dhanyawad apne padha pasand kiya aur saraha
LikeLiked by 1 person
Kavya sankalan naye roop men. bahut sunder.
LikeLiked by 1 person
sukriya hamare es prayas ko apne saraha…
LikeLiked by 1 person
Bahut sundar hai
LikeLiked by 1 person
dhanyawad apka…
LikeLike
👌👌
LikeLiked by 1 person
sukriya pura padhne aur pasand karne ke liye
LikeLike
😊.पुरा पढे बगैर पसंद करने का तो कोई तुक नहीं है !.
बहुत सुंदर कवितामयी वर्णन है !
LikeLiked by 1 person
बहुत सुन्दर 👍
LikeLiked by 1 person
sukriya apka……
LikeLiked by 1 person
bahut khub madhusudan ji
LikeLiked by 1 person
dhanyawad Danish ji apne padha aur pasand kiya…..
LikeLike
इतिहास को बहुत सुंदरता से दर्शाया है।बहुत खुब
LikeLiked by 1 person
Sukriya apne padha pasand kiya aur saraha…
LikeLiked by 1 person
Aapne raja porus ki bahaduri ko bahut acche se darshaya ha So thanks for the beautiful poem
LikeLiked by 1 person
Dhanyawad apne pasand kiya aur saraha.
LikeLike