दूर चाँद को हमें दिखाती,
उनको मामा हमें बताती,
गोद बिठाकर बड़े प्यार से बहलाती थी मोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
याद हमें जब रूठ गया मैं,
कैसे हमें मनाई थी,
चाँद हमें जब नजर ना आए,
कैसी कथा बनाई थी,
मैं तुम में तब डूब गया था,
चाँद को उस पल भूल गया था,
भूल गया जिद याद बिछौना,गोद बनी थी तोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
भूल भला कैसे सकते हैं,
तेरी त्याग,तपस्या माँ,
ममता,करुणा,प्रेम,दया और
बाहों की वो तकिया माँ,
खेल-कूद धूल-धूसरित आते,
दौड़ हमें तुम गोद उठाते,
अपनी आँचल से माँ मेरे
तन के सारे धूल उड़ाते,
मैं हँसता माँ तुम मुस्काती,
मैं रोता माँ तुम रो जाती,
कैसे भूल भला सकते हैं सिर पर थपकी तोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
याद हमें वो चार मिठाई,
तेरे हिस्से एक ही आई,
जब मैं खेलकर घर को आया,
वो भी तूने हमें खिलाई,
याद बिना खाए सो जाना,
हमें खिलाकर तेरा माँ,
मैं अबोध तब समझ ना पाया,
हिस्सा कितना मेरा माँ,
याद हमें जब वो क्षण आते,
आँखों में आँसू आ जाते,
आज भरा घर मिष्ठानों से,
मगर तुक्ष हम सबको पाते,
कितना तेरा त्याग गिनाऊँ,
रोम रोम में तुमको पाऊँ,
रात कई जो जाग बिताई,बात नही ये कोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
!!!मधुसूदन!!!
दूर चाँद को हमें दिखाती,
उनको मामा हमें बताती,
गोद बिठाकर बड़े प्यार से बहलाती थी मोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
याद हमें जब रूठ गया मैं,
कैसे हमें मनाई थी,
चाँद हमें जब नजर ना आए,
कैसी कथा बनाई थी,
मैं तुम में तब डूब गया था,
चाँद को उस पल भूल गया था,
भूल गया जिद याद बिछौना,गोद बनी थी तोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
भूल भला कैसे सकते हैं,
तेरी त्याग,तपस्या माँ,
ममता,करुणा,प्रेम,दया और
बाहों की वो तकिया माँ,
खेल-कूद धूल-धूसरित आते,
दौड़ हमें तुम गोद उठाते,
अपनी आँचल से माँ मेरे
तन के सारे धूल उड़ाते,
मैं हँसता माँ तुम मुस्काती,
मैं रोता माँ तुम रो जाती,
कैसे भूल भला सकते हैं सिर पर थपकी तोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
याद हमें वो चार मिठाई,
तेरे हिस्से एक ही आई,
जब मैं खेलकर घर को आया,
वो भी तूने हमें खिलाई,
याद बिना खाए सो जाना,
हमें खिलाकर तेरा माँ,
मैं अबोध तब समझ ना पाया,
हिस्सा कितना मेरा माँ,
याद हमें जब वो क्षण आते,
आँखों में आँसू आ जाते,
आज भरा घर मिष्ठानों से,
मगर तुक्ष हम सबको पाते,
कितना तेरा त्याग गिनाऊँ,
रोम रोम में तुमको पाऊँ,
रात कई जो जाग बिताई,बात नही ये कोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ,
भरी कटोरी दूध-भात की याद अभी भी लोरी माँ।
!!!मधुसूदन!!!
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Very nice thought….
Aapne toh bachpan yaad dila diya.
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बहुत बहुत धन्यवाद आपको पसन्द आया और बचपन याद आ गई।
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अति सुन्दर लिख दिए.
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बस लिखा गया। बहुत बहुत धन्यवाद।
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बहुत खूब👌👌बचपन ही बचपन
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
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👌👌उत्तम
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आभार आपका पढ़ने और सराहने के लिए।
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स्वागत सर 🙏🙏💐
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🙏🙏
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बहुत खूब खूबसूरत 👌👌
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका।🙏
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सुंदर भाव-चित्रण ।
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धन्यवाद आपका।
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अंतःस्पर्शी पूरी कविता ही है पर विशेष…
“कैसे भूल भला सकते हैं सिर पर थपकी तोरी माँ”
माँ जैसे ही बड़ी बहन याद गई
साधुवाद आपको !
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हृदय से धन्यवाद आपका।🙏
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