दिल की बगिया से हवा चली भावनाओं का,जिसके कण कण में सिर्फ तेरा नाममन लिखने को आतुर,देने को उत्सुकतुमकोकुछ पैगाम,दौड़ चली कलम,और बरसने लगे शब्द,कोरे कागज़ देखने में रंगीन हो गए,सच कहें तो दर्द में मेरे गमगीन हो गए,तपस्या ही है,चाहतगुलशने-दिल महकाने कीजो कभी नहीं लौट सकता उसेवापस बुलाने की, उसे वापस बुलाने की|!!! मधुसूदन … Continue reading TAPASYA/तपस्या
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Naya Saal Naya Sawera
भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2077 की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
“Happy New Year”
Image credit: Google
है दास्ताँ सीखा गयी गुलामी बर्षों की,
अपना असर दिखा गयी गुलामी वर्षों की||
शुक्ल प्रतिपदा प्रथम दिन,
है चैत्र मास का ख़ास,
इसी दिन से ब्रम्हा ने की,
सृष्टि की शुरुआत,
इस दिन हम नववर्ष मनाते,
हिन्द को अपना खूब सजाते,
मगर इसे भी मिटा रही गुलामी वर्षों की,
अपना असर दिखा गयी गुलामी वर्षों की|1
सर्दी का दिन ढलते साल का,
अंतिम जश्न मनाते,
फागुन मास का एक महीना,
रंग-अबीर उड़ाते,
गले लगाते एक दूजे को,
जश्न मनाते पूरी रात,
साफ़-सफाई गलियों की कर,
करते नववर्ष की शुरुआत,
मगर मिटा दी रश्म सभी गुलामी वर्षों की,
अपना असर दिखा गयी गुलामी वर्षों की|2
माह जनवरी नया साल का,
पतझड़ लेकर आती,
चैत्र महीना नया साल,
नव कोपल है दिखलाती,
जहाँ की है नववर्ष जनवरी,
शायद वहां वसंत,
भारत की नववर्ष चैत्र है,
होती यहाँ उमंग,
हरियाली धरती पर होती,
फूल की खुशबु होती,
फागुन,चैत्र का…
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विकास की दौड़ में,बहुत दूर हो गए थे अपनो सेऔर गाँव से,आज दोनों की याद दिलाई है,एक वायरस सब कहते कोई कोरोना आई है।कोई भी लड़ाई लड़ने को,घर से बाहर निकलते थे,आज दरवाजे बंद घरों में रहते हैं,हाथ मिलाना,गले लगाना,पास बैठ मुश्किल बतियाना,खुली हवा में साँसे लेने पर भी सामत आई है,एक वायरस सब कहते … Continue reading
Katha Bhakt Prahlad ki
Image Credit : Google.
है राह कठिन पर सत्य प्रबल,पर्वत भी शीश झुकाता है,
इंसान चला गर सत्य के पथ,रब बेबस चलकर आता है।
ब्रम्हा से वर को प्राप्त किया,
एक राजा नाम हिरणकश्यपु
जनता के बीच उद्घोष किया,
खुद को ही मान लिया स्वयंभू,
जन-जन उसको भगवान कहे,
आह्लादित वह शैतान हुआ,
था झूठ की दुनियाँ में अंधा,
वह सत्य से फिर अनजान हुआ,
प्रहलाद हुआ उसका बेटा,
कुम्हार यहां अचरज देखा,
जलती भट्टी से बिल्ली के,
जिंदा वापस बच्चे देखा,
श्रीहरि का देखा नाम प्रबल,विष्णु का रटन लगाता है,
इंसान चला गर सत्य के पथ,रब बेबस चलकर आता है।
मुख विष्णु धुन प्रहलाद से सुन,
वह पुत्र को समझाकर हारा
फिर दंड दिया कितने कठोर,
हर बार उसे वह हत्यारा,
अस्तबल में बांधा घोड़े संग,
हाथी के संग भी बंधवाया,
पर्वत से फेका पुत्र मगर,
वापस जिंदा उसको पाया,
ना उसे डुबाया सागर ने,
ना विषधर से ही…
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HINDI HAMARI JAAN/हिंदी हमारी जान
दुस्तान में रहते गर्व से कहते खुद को हिन्दुस्तानी,
हिंदुस्तान में रहकर कैसे,गौरवान्वित है इंग्लिश वाणी।
कदम-कदम पर खान-पान,
हर कदम अलग सा भाषा है,
रंग बिरंगे उत्सव का संगम,
भारत कहलाता है,
उन्नीस सौ उन्चास में फिर भी,
हिंदी को सम्मान मिला,
संबिधान भारत का इसको,
राष्ट्रभाषा स्वीकार किया,
फिर हम उन्नीस सौ तिरपन से,
हिंदी दिवस मानते हैं,
भारत के सब फूल जोड़कर,
माला एक बनाते हैं,
मगर दुःख इस भाषा को है,
अपने ही रखवालों से,
पूछ रही है प्रश्न कई ये,
अपने ही घरवालों से,
विकसित अंग्रेजी के संग,अविकसित कैसे हिंदी वाणी,
हिंदुस्तान में रहकर कैसे,गौरवान्वित है इंग्लिश वाणी।
उपमा,अलंकार और छंद,
हिंदी के हैं रूप अनंत,
रस से भरी है हिंदी रानी,
कहाँ है इतनी मीठी वाणी,
मगर फूहड़ता इंग्लिश देखो,
सब की बन बैठी है रानी,
भूल गए हम शिष्टाचार,
हेलो, हाय में बिछड़ा प्यार,
आओ खुद पर गर्व करे हम,
विकसित कैसे आ समझे हम,
आओ मिलकर हमसब बोले,अब से अपनी हिंदी वाणी,
हिंदुस्तान में रहकर कैसे,गौरवान्वित है इंग्लिश वाणी।
सब देशों को गर्व जगत में,
अपनी-अपनी भाषा पर,
हम इतराते बोल-बोल,
उस सौतन इंग्लिश भाषा पर,
फ्रेंच बोलता फ्रांस,
जर्मनी को अपनी भाषा प्यारी,
रशियन रुसी भाषा बोले,
चीनी को चीनी प्यारी,
सब कुछ देख के अज्ञानी
हम हिंदी नहीं समझते हैं,
पश्चिम की भाषा पर कैसे,
हम इतराते रहते हैं,
आओ प्रेम वतन से कर लो,
रोटी यहीं की खाते हम,
क्यों अंग्रेज बने फिरते,
आ हिंदी जश्न मनाले हम,
हेलो, हाय छोड़ जुबाँ से बोल नमस्ते हिंदी वाणी,
हिंदुस्तान में रहकर कैसे गर्व करें हम इंग्लिश वाणी|!!! मधुसूदन !!!
हिंदुस्तान में रहते गर्व से कहते खुद को हिन्दुस्तानी,
हिंदुस्तान में रहकर कैसे,गौरवान्वित है इंग्लिश वाणी।
कदम-कदम पर खान-पान,
हर कदम अलग सा भाषा है,
रंग बिरंगे उत्सव का संगम,
भारत कहलाता है,
उन्नीस सौ उन्चास में फिर भी,
हिंदी को सम्मान मिला,
संबिधान भारत का इसको,
राष्ट्रभाषा स्वीकार किया,
फिर हम उन्नीस सौ तिरपन से,
हिंदी दिवस मानते हैं,
भारत के सब फूल जोड़कर,
माला एक बनाते हैं,
मगर दुःख इस भाषा को है,
अपने ही रखवालों से,
पूछ रही है प्रश्न कई ये,
अपने ही घरवालों से,
विकसित अंग्रेजी के संग,अविकसित कैसे हिंदी वाणी,
हिंदुस्तान में रहकर कैसे,गौरवान्वित है इंग्लिश वाणी।
उपमा,अलंकार और छंद,
हिंदी के हैं रूप अनंत,
रस से भरी है हिंदी रानी,
कहाँ है इतनी मीठी वाणी,
मगर फूहड़ता इंग्लिश देखो,
सब की बन बैठी है रानी,
भूल गए हम शिष्टाचार,
हेलो, हाय में बिछड़ा प्यार,
आओ खुद पर गर्व करे हम,
विकसित कैसे आ…
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MUKHAUTA/मुखौटा
Image Credit : Google एक खालीपन दिखता है तेरे शोर में, तुम बदल मुखौटे आते हो, पास आकर के मुस्काते हो, आँखों में अश्क छुपा कर के, तुम हम से प्रीत जताते हो, सब दिख जाते गम छिपे तुम्हारे लोर में, एक खालीपन दिखता है तेरे शोर में।1। तूने अबतक ना जाना, ना हमको तूँ … Continue reading MUKHAUTA/मुखौटा