Kimat Brikshon ka

कह पाता  ना शब्द उसे, तस्वीर बयाँ कर जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब,हालात बयाँ कर जाती है।

दर्द न समझा बेजुबान का,
आरे से तन चीर दिया,
तड़प-तड़प कर पत्तों ने
उसके आगे दम तोड़ दिया,
मत मारो ऐ मानव मुझको,
कितनी बार कहा होगा,
तेरी श्वांस सहारा हूँ मैं,
रोकर बतलाया होगा,
मगर सुना ना मानव उसका,बहरापन दिख जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब, हालात बयाँ कर जाती है।

जब तक जिंदा जीवन देता,
मिटकर भी काम आता है,
बचपन से है साथ हमारे,
अंत मे साथ निभाता है,
धुप से मेरी जान बचाता,
बारिस पास बुलाता,
हर संकट में साथ खड़ा,
ये भूख मिटानेवाला है,
मगर स्वार्थ में इंसानो को नजर नहीं कुछ आती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब,हालात बयाँ कर जाती है।

हम विकसित जो राह में आते,
काल के जैसे हम बन जाते,
एक बृक्ष की बात करें क्या,
जंगल में हम आग लगाते,
किट-पतंगे,जलचर,नभचर,
सब का काल नही दूजा,
पशु पालतू या हिंसक हो,
हम सा हिंसक ना दूजा,
ढेर बृक्ष की बिन बोले, सब दर्द बयाँ कर जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब,हालात बयाँ कर जाती है।

!!! मधुसूदन !!!

37 thoughts on “Kimat Brikshon ka

    1. सुक्रिया आपने पसंद किया और सराहा।हम वाकई बहुत स्वार्थी होते जा रहें है जिसे किसी की जान एवं भावनाओ का कोई क़द्र नही।

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    1. सच मे हम सभी पूरे प्रकृति का दुश्मन बन गए हैं।रूकना होगा हमे तभी जिंदगी बच सकेगी।सुक्रिया आपने पसंद किया।

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    1. क्या बात भाई—ऐसा आपका सोचना आपको महान बनाता है।सुक्रिया हौसला बढ़ाने के लिए।

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    1. Bilkul…..prakriti kaa koyee bhi bastu ya jeev aisaa nahi jo hamaari madad nahi karte badle me unhe maarkar ham unke saath khud kaa galaa ghot rahe hain…kitne anaadi aur murkh hain ham phir bhi sabse jyaadaa khud ko hoshiyaar samajhte hain….sukriya apka pasand karne ke liye..

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  1. Waaaah sir मगर सुना ना मानव उसका,बहरापन दिख जाती है,
    जुल्म हुए हैं कितने सब, हालात बयाँ कर जाती है। Dil chhune Vali lines . Waaah sir really superb. I’m inspired that moment😘😘😘😘

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा है। आपके कविता में विषय वस्तु अलग अलग होता है जो काविले तारीफ है। क्या मैं एक टॉपिक दूं क्या मेरी भावनाओं को समझते हुए लिख पायेंगे।

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    1. आपने सराहना की बहुत अच्छा लगा।सच है मैं अलग अलग बिषय पर लिखने का प्रयास करता हूँ साथ ही ये भी सत्य है की जब कोई किसी टॉपिक पर लिखने बोलता है तो शब्द मुश्किल से मिकते हैं फिर भी प्रयास करूंगा।आप जरूर टॉपिक दीजिये।

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    1. सुक्रिया दानिश जी आपने पसंद किया।वैसे ये कविता अभय जी द्वारा लिखित लेख के कमेंट्स में लिखा था।

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  3. इन पेड़ों की ओर से आपको मैं धन्यवाद कहना चाहता हूँ। धन्यवाद दा आपने उनके दर्द को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों का रूप दिया।

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    1. धन्यवाद आपका—इनके भी जान है जो मेरे लिए जिंदा हैं।सुक्रिया अपने सराहा।

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      1. आपका ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है दा। हम यही आशा करेंगे कि आप यूँ ही इन टाॅपिक्स पर लिखते रहें।

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