कह पाता ना शब्द उसे, तस्वीर बयाँ कर जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब,हालात बयाँ कर जाती है।
दर्द न समझा बेजुबान का,
आरे से तन चीर दिया,
तड़प-तड़प कर पत्तों ने
उसके आगे दम तोड़ दिया,
मत मारो ऐ मानव मुझको,
कितनी बार कहा होगा,
तेरी श्वांस सहारा हूँ मैं,
रोकर बतलाया होगा,
मगर सुना ना मानव उसका,बहरापन दिख जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब, हालात बयाँ कर जाती है।
जब तक जिंदा जीवन देता,
मिटकर भी काम आता है,
बचपन से है साथ हमारे,
अंत मे साथ निभाता है,
धुप से मेरी जान बचाता,
बारिस पास बुलाता,
हर संकट में साथ खड़ा,
ये भूख मिटानेवाला है,
मगर स्वार्थ में इंसानो को नजर नहीं कुछ आती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब,हालात बयाँ कर जाती है।
हम विकसित जो राह में आते,
काल के जैसे हम बन जाते,
एक बृक्ष की बात करें क्या,
जंगल में हम आग लगाते,
किट-पतंगे,जलचर,नभचर,
सब का काल नही दूजा,
पशु पालतू या हिंसक हो,
हम सा हिंसक ना दूजा,
ढेर बृक्ष की बिन बोले, सब दर्द बयाँ कर जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब,हालात बयाँ कर जाती है।
!!! मधुसूदन !!!
बेहतरीन
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सुक्रिया आपका बेहतरीन बनाने के लिए।
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बेजुबानों का दुःख बहुत ही मर्मता से बयां किया है
बहुत सुन्दर सर
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सुक्रिया आपने पसंद किया और सराहा।हम वाकई बहुत स्वार्थी होते जा रहें है जिसे किसी की जान एवं भावनाओ का कोई क़द्र नही।
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वृक्षों , पशु पक्षियों का दर्द….बहुत अच्छा दर्शाया है
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सच मे हम सभी पूरे प्रकृति का दुश्मन बन गए हैं।रूकना होगा हमे तभी जिंदगी बच सकेगी।सुक्रिया आपने पसंद किया।
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Behtareen… 👍👍
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धन्यवाद आपने पढ़ा और सराहा।
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हमारी साँसें उन्हीं की बदौलत चलती हैं. बहुत सुंदर.
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सुक्रिया आपका पढ़ने और हौसला बढ़ाने के लिए।
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जवाब नही भाई आपका
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क्या बात भाई—ऐसा आपका सोचना आपको महान बनाता है।सुक्रिया हौसला बढ़ाने के लिए।
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Humsa hinsak na dooja! Bilkul Sahi kaha hai Sir. Hum he ek aise prani hain dharti par jo apne he ghar ko ujaadne pe lage hue hain.
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Bilkul…..prakriti kaa koyee bhi bastu ya jeev aisaa nahi jo hamaari madad nahi karte badle me unhe maarkar ham unke saath khud kaa galaa ghot rahe hain…kitne anaadi aur murkh hain ham phir bhi sabse jyaadaa khud ko hoshiyaar samajhte hain….sukriya apka pasand karne ke liye..
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Sahi farmaya hai apne. You’re welcome 🙂
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Waaaah sir मगर सुना ना मानव उसका,बहरापन दिख जाती है,
जुल्म हुए हैं कितने सब, हालात बयाँ कर जाती है। Dil chhune Vali lines . Waaah sir really superb. I’m inspired that moment😘😘😘😘
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Dhanyawaad aapne padhaa aur saraahaa….sukriya aapkaa.
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बहुत ही सच्ची बात, सच्ची तस्वीरों के साथ दर्शायी है।बहुत खुब
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Sukriya apka aapne padhaa aur saraahaa…swagat apka…
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बहुत ही अच्छा लिखा है। आपके कविता में विषय वस्तु अलग अलग होता है जो काविले तारीफ है। क्या मैं एक टॉपिक दूं क्या मेरी भावनाओं को समझते हुए लिख पायेंगे।
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आपने सराहना की बहुत अच्छा लगा।सच है मैं अलग अलग बिषय पर लिखने का प्रयास करता हूँ साथ ही ये भी सत्य है की जब कोई किसी टॉपिक पर लिखने बोलता है तो शब्द मुश्किल से मिकते हैं फिर भी प्रयास करूंगा।आप जरूर टॉपिक दीजिये।
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बढ़िया!!!
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सुक्रिया आपका अपने सराहा।
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jivant kavita
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सुक्रिया दानिश जी आपने पसंद किया।वैसे ये कविता अभय जी द्वारा लिखित लेख के कमेंट्स में लिखा था।
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acha shayad main dekh nahi paya
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ho sakta hai …..sukriya
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इन पेड़ों की ओर से आपको मैं धन्यवाद कहना चाहता हूँ। धन्यवाद दा आपने उनके दर्द को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों का रूप दिया।
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धन्यवाद आपका—इनके भी जान है जो मेरे लिए जिंदा हैं।सुक्रिया अपने सराहा।
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आपका ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है दा। हम यही आशा करेंगे कि आप यूँ ही इन टाॅपिक्स पर लिखते रहें।
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Bahut bhadhiya..👏👏
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Sukriya apkaa pasand karne ke liye….
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Very nice poem
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sukriya apka …..
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Wakai ye ek gbheer samasya BN gyi Hai ab , apki antim antre ki vo 6-7 panktiyan bhut kuch khti Hain !
ATI uttam
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Bilkul……ham samajhte hai khatm hi nahi hoga..sath hi ham hi kyun ruke baaki kyun nahi…..isi me ham shamshaan banaate jaa rahe hain dhara ko…sukriya apne pasand kiya.
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🙏🙏
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