छोटी सी एक चिड़िया आती मेरे रोशनदान में,
फुदक भुदककर रॉब जमाती मेरे रोशनदान में।
रविवार को चला सफाई,
करने झाड़ू लिए हुए,
देखा रोशनदान हमारे,
तिनको से थे भरे हुए,
गुस्सा आया चिड़िया पर,
फिर चल दी उसे हटाने को,
आते देखा दूर थी चिड़ियां,
छुप गए सबक सिखाने को,
चोंच में उसके फिर तिनके थे,
पास में आकर ठिठक गयी,
छोटी थी पर सोंच बड़ी थी,
संकट जैसे समझ गयी,
नजरों से टकराई नजरें,
मज़बूरी को ताड़ गया,
उसकी अथक परिश्रम के,
आगे बालक मैं हार गया,
तिनके को वह खूब सजाती,
ऊपर मखमल घास बिछाती,
महल बनाती चिड़ियाँ अपनी मेरे रोशनदान में,
छोटी सी एक चिड़िया आती मेरे रोशनदान में।
समझ गया था कठिन परिश्रम,
को मैं कुछ दिन बाद में,
बच्चे उसके चहक रहे थे,
मेरे रोशनदान में,
चुन-चुनकर वो खाना लाती,
कितनी मिहनत,प्रेम दिखाती,
कुछ दुबली थी भूखी शायद,
पर बच्चों की भूख मिटाती,
माँ की आस में बच्चे ततपर,
चिड़ियों का भक्षक इंसान,
अगर फंसी वो जाल में बेबस,
मिट जाती बच्चों की जान,
मगर शाम एक ऐसी आई,
चिड़ियाँ लौट ना वापस आई,
खोजबीन में भोजन की वो,
शायद अपनी जान गंवाई,
शोर मची थी कैसी कैसे बोलूं रोशनदान में,
बिलख रहे थे बच्चे उस दिन मेरे रोशनदान में।
मैं बालक सब समझ रहा था,
आंख से आंसू बरस रहा था,
मानव की इस जुल्म खेल पर,
हृदय हमारा तड़प रहा था,
झट रोटी का टुकड़ा लाया,
उसके महल में मैं रख डाला,
बच्चे थे नादान ना समझे,
खाने रोटी उन्हें ना आया,
फिर में हाथ से रोटी देता,
चोंच में वे रख लेते थे,
पढ़कर वापस आने तक वो,
मेरी राह निरखते थे,
कैसा ज्ञान मिला क्या बोलूं उनसे रोशनदान में,
सब जीवों पर दया दिखाना सीखा रोशनदान में।
चिड़ियों की अब फौज हमारी,
निसदिन छत पर आती है,
शायद चारों चिड़ियों के संग,
उनकी दुनियाँ आती है,
खुशियाँ इनके साथ बिरानी फिर भी रोशनदान में,
छोटी सी एक चिड़िया फिर ना आयी रोशनदान में।
!!! मधुसूदन !!!
अति सुंदर
LikeLiked by 1 person
Dhanyawaad pasand karne ke liye….
LikeLiked by 1 person
Beautiful, heart-touching. Hamein jeevon se bahut kuch seekhne ko mil sakta hai gar hum seekhnon ko razi ho. You are very kind to them.
LikeLike
Truly said ….Thanks for your valuable comments.
LikeLiked by 1 person
You’re most welcome 😊
LikeLiked by 1 person
Chidiya ke madhyam se parivarik prem ki sunder abhivyakti
LikeLike
Sukriya aapkaa padhne sur pasand karne ke liye…..
LikeLiked by 1 person
Amazing 👍👍
LikeLike
Thank you very much….
LikeLiked by 1 person
Lajawab 😍😍
LikeLike
Thank you very much…
LikeLiked by 1 person
Nice one
LikeLike
Thank you very much…
LikeLiked by 1 person
बहुत खूब। बहुत ही अच्छा से लिखा है।
LikeLike
Sukriya aapka pasand karne ke liye….
LikeLiked by 1 person
बहुत ही खूबसूरत लिखा।सॉरी सिर,पर शायद कुछ गलतियां हो गयी पोस्ट करते समय।जमाती और व्याकुल में ।आपकी इतनी सुंदर कविता मैं ये थोड़ी सी चीज़ें रुकावट बन रही थी ।बहुत ही अच्छा संदेश मिला है कविता के जरिये ।शुक्रिया 👌
LikeLike
धन्यवाद आपका आपने पढ़ा और पसंद किया साथ ही कुछ कमी निकाली।इस कविता में जमाती शब्द तो कही नही है साथ ही ब्याकुल की जगह बेबस लिख दु कैसा रहेगा?या कोई शव्द आपको अच्छा लगे तो जरूर बताएं।सुक्रिया।
LikeLike
भुदककर रॉब जनाती मेरे रोशनदान में।क्या जमाती नहीं आना चाहिए।baki toh sahi h.Thanks .
LikeLike
सुक्रिया आपका सुझाव देने के लिए । हमने जमाती शब्द जोड़ दिया।बहुत बढ़िया।
LikeLike
Welcome Sir 😊
LikeLiked by 1 person
Bahut sunder…………..
LikeLike
Sukriya sir pasand karne ke liye….
LikeLiked by 1 person
Beautiful, Sir 👌
LikeLike
Bahut bahut dhanyawaad Apka…
LikeLiked by 1 person
बुलबुल ने हमारे घर भी नीड़ बनाया और यूँ ही सारा दिन रोटी देने की होड़ बच्चों में लगी हुई थी 🙂 में आपकी इस कविता को अपने भावों से जोड़ सकती हूँ । समय मिले तो मेरी पोस्ट motherhood पढ़िएगा । कबूतर के अण्डों से लेकर किस तरह हमारे घर का अभिन्न अंग बने वो । तीन महीने हमारा सारा दिन और ध्यान बस उनका ख़याल रखने में जाता था । साधुवाद आपको ।आप एक अच्छे इंसान हैं ।
LikeLike
सुक्रिया आपको पसंद आया।ये बात उन दिनों की है जब मैं काफी छोटा था।सच है आज भी जहाँ है चिड़ियों को दाना देते हैं।साथ ही हम आपका पोस्ट जरूर पढ़ेंगे।
LikeLiked by 1 person
Bachpan ki yadien anmol hoti hain
LikeLiked by 1 person
Bilkul…..Sukriya
LikeLiked by 1 person
Indeed a beautiful poem touched my heart!!
LikeLike
Thanks for your valuable comments…
LikeLiked by 1 person
Welcome sir😊
LikeLiked by 1 person
bahut khub
LikeLike
Dhanyawaad aapka…
LikeLiked by 1 person
So much sensitive story loved it.
LikeLike
Dhanyawaad aapkaa pasand karne ke liye….
LikeLiked by 1 person
😊
LikeLiked by 1 person
V well written
LikeLike
Thanks for your appreciation ..
LikeLiked by 1 person
बढ़िया बहुत ही बढ़िया!!
LikeLike
PASAND AAYAA BAHUT BAHUT DHANDYAWAAD APKAA.
LikeLiked by 1 person
बहुत ही अच्छी कविता लिखी है
LikeLike
SUKRIYAA AAPNE PASAND KIYA
LikeLiked by 1 person
Ati sunder poem.
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत बहुत बहुत सुंदर👌👌👌👌👌
LikeLike
Bahut bahut dhanyawaad aapkaa….
LikeLiked by 1 person
मुझे भी बहुत याद आती है वो छोटी चिड़िया,आँगन में फुदकती हुई उन चिड़ियों का झुंड मुझे बहुत याद आता है। अब नहीं सुन पाती मैं चिड़ियों का चहचहाना…..
उपरोक्त कहानी मेंं चिड़िया की मार्मिक कहानी का बहुत सफल प्रस्तुतिकरण🙏🙏
LikeLike
सुक्रिया आपको पसंद आया।वैसे इंसान चिड़ियों को रहने कहां दे रहे हैं ।उनकी कोई सरकार कहां जो उनकी रक्षा करे।
LikeLiked by 1 person
बिल्कुल सही कहा आपने
LikeLiked by 1 person