जब रूठा तू मुझे मनाती,
गिरता जब भी मुझे उठाती,
टूट गया तूँ छोड़ गई,कैसे खुद को समझाऊँ,
बोल बता अब मेरे साथी, कैसे उम्र बिताऊं।
जीवन से लड़ते मैं आया,
हार कभी ना माना था,
तेरे कारण ही सागर से,
बचकर वापस आया था,
घर आने की चाहत कलतक,
ख्वाब गजब की होती थी,
हाथों का तुम हार बनाती,
गर्दन झुकती मेरी थी,
यादों की फेहरिस्त बड़ी,
हर याद में तू ही छाई,
ऐसी कौन खुशी है जिसमे,
तुम बिन खुशियां आई,
गम कैसा ना कलतक जाना,
दर्द को बिन बोले पहचाना,
कहां गई तुम छोड़ के मुश्किल,
सत्तर से आगे अब जाना,
बादल बरस रहे हैं संग-संग,कैसे हाल सुनाऊँ,
बोल बता अब मेरे साथी, कैसे उम्र बिताऊं।
दिन तो कटते इधर-उधर,
रातों को अजब सन्नाटा है,
आज भी तेरी बिस्तर साथी,
तेरी याद दिलाता है,
बिन बोले तुम चली गई,
बिन बोले अब मैं रोता हूँ,
कहाँ गई तूँ देख जरा,
अश्कों में दर्द पिरोता हूँ,
दीप बिना बाती,बाती बिन कैसे दीप जलाऊँ,
बोल बता अब मेरे साथी, कैसे उम्र बिताऊं।
घर मे सारे लोग मगर,
कोई ना साथ हमारे,
अपने-अपने काम मे उलझे,
नाती-पोता सारे,
हम भी हैं इंसान मगर,
हैं मूक आज पशुओं सा,
हवा के जैसे चलनेवाले,
कैद वहां पशुओं सा,
भोजन अच्छे मगर बैल सा,
मुझको मिलता साथी,
किससे दिल की बात करें हम,
कौन हमारा साथी,
अपनो की खुशियों से खुश,मुश्कान कहां से लाऊं,
बोल बता अब मेरे साथी, कैसे उम्र बिताऊं।
!!! मधुसूदन !!!
अतिसुंदर सुप्रभात वंदन
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Sukriya apkaa ..sath hi apko bhi suprabhat.
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So touching lines,very nice poem sir.
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Lots of thanks for your appreciation
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Very nice and heart touching
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Thank you very much for your valuable comments.
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Umda
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sukriya apka
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Touchy poem!! Your poems touch the heart straight way
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thank you very much for appreciation…..
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Bhut bhut bhut sundr….
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sukriya apka apne pasand kiya
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Bahut sunder.
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sukriya apka apne pasand kiya
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Jeevan ki sachhai!
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bilkul isi daur se sabko gujarna hai….sukriya bahan.
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ह्रदयस्पर्शी बाते …..बहुत बढिया
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dhanyawad apne pasand kiya aur saraha
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Nice
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thank you very much
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मन को छू लेने वाला पोस्ट है। जीवन का यही सच्चाई है एक के विना दूसरा अधूरा है। बहुत खूब।
👌
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Sukriya apne dono kavita pasand kiya aur saraahaa.
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वाह
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सुक्रिया आपका।
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