हूँ अबला,गरीब मैं,लोग मुझे सताते है,
मेरे धर्मवाले मुझे बार-बार रुलाते हैं ||
मन में बिस्वास और उम्मीद लेकर आयी हूँ,
थककर उस संसार से, तेरे दर पे आयी हूँ,
आजा आके मुझको अपने गले से लगा लो,
रश्मों के साथ मुझे हिन्दू तुम बना दो,
रश्मों के साथ मुझे हिन्दू तुम बना दो |1|
पर सूना तेरे धर्मो में भी तकरार बहुत है,
स्वर्ण, दलित, पिछड़ों में विवाद बहुत है,
तू बोल बना हिन्दू मेरी पहचान क्या दोगे,
ऐ धर्म के रखवालों मेरी जात क्या दोगे,
चाहती हूँ आजा मुझे दलित बना दो,
रश्मों के साथ मुझे तुम हिन्दू बना दो |2|
क्यों हो संकोच में,क्या अब भी राजशाही है,
आज भी क्या हिन्दू में जातियों की तानाशाही है,
जनता का शासन फिर तानाशाह कैसे बैठा है,
लगता है राजतंत्र पर जनतंत्र का मुखौटा है,
हटाकर तानाशाह मुझे न्याय दिला दो,
रश्मों के साथ मुझे तुम हिन्दू बना दो |3|
कुलीन के जूठे बेर राम प्रेम से खाये,
उसी पुरुषोत्तम को हैं अपनाने हम आये,
किसी से घृणा ना जातिवाद बढ़ाना है,
मगर जो सुनी उसी बात को बताना है,
सुना है डोम घर रविदास नहीं खाते,
श्रेष्ठ रविदास नहीं पासवान को भाते,
पासवान से श्रेष्ठ कुशवाहा खुद बताते,
कुशवाहा से यादव रिश्ता नहीं बनाते,
नीचे से ऊपर सभी श्रेष्ठ और स्वर्ण हैं,
अहम् की दौड़ में कोई भी ना कम है,
नफरत की आग सारे मिलकर फैलाते,
फिर स्वर्णो पर क्यों सारे तोहमत लगाते,
चाहती हूँ आजा मुझे डोम ही बना दो,
रश्मों के साथ मुझे हिन्दू तुम बना दो |4|
सदियों से महल, झोपड़ी की लड़ायी थी,
राजतंत्र को हटा सबने लोकतंत्र लाई थी,
सैकड़ो झोपडी तोड़कर महल बनते है,
हम जैसे आज भी फुटपाथ पर रहते हैं,
क्या दूँ प्रमाण मैं गरीब और अनाथ हूँ,
पढ़ी,लिखी अबला तेरी नियमों की दास हूँ,
खड़ी मैं चौराहे पर न्याय तुम दिला दो,
हिम्मत है आजा तानाशाह को मिटा दो ||
रश्मों के साथ मुझे हिन्दू फिर बना दो |5|
ये कैसी आजादी जहां हर कदम पर गुलामी है,
कही जात कही धर्म कही मर्दों की मनमानी है,
है ईश्वर का संसार अगर तो सारा धर्म हमारा है,
जनता का शासन अगर तो शासन भी हमारा है,
फिर उड़ने को सारा संसार है हमारा,
कोई जाति,धर्म रखें ये हक़ है हमारा,
आओ मिल सारे तानाशाह को मिटादो,
रश्मो के साथ मुझे हिन्दू फिर बना दो ।।
रश्मों के साथ मुझे हिन्दू तुम बना दो ।6।
!!! मधुसूदन !!!
बहुत उम्दा!
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आभार आपका आपने पसंद किया।
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वाह ! काफी लंबी पोस्ट है लेकिन अद्भुत है जो कहु काम होगा लेकिन सच यही है कि इंसान पैसे और रुतबे के चक्कर मे खुद को बड़ा साबित करने पर तुला है लेकिन सच ये भी है जो जितना बड़ा होता है लोग उसके साथ उतने ही काम खड़े होते है इसलिए प्रेम बढ़ाये प्रेम से रहे खुशहाल रहेंगे इसी में मानव और मानवता की भलाई होगी
👏👏👏👏 🙏🙏
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Behtareen
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धन्यवाद रोहित जी।
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आज हर अबला पुकार रही है विचार बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका—
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Very nice poem
Bhut achi t
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका। अपना पढ़ा और पसंद किया सुक्रिया।
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Pleasure is all mine sir
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Very nice…
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Thank you sir….
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बहुत अच्छी कविता और खूबसुरत शब्द समन्वय .
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आपने पसंद किया —-बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
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Good very good
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Thanks for your valuable comments…….
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Very nice poem
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Thanks
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