Jeene ke Kayee Thikaane

मैं भी एक रेस का घोड़ा था,मतवाला हाथी के जैसा,
चीते सी फुर्ती मुझमें थी,थी तेज नजर बाजों जैसा,
पर दिल कोमल था पत्तों सा,जिसके आगे मैं हार गया,
एक मस्त हवा की झोंका पर,तन-मन अपना मैं वार गया |
फिर रेस हमारा बिखर गया,मतवाले हम दिल खो बैठे,
फिर छोड़ के डाली साथ उड़े,खुद का सुधबुध सब खो बैठे,
वह चंचल पवन की झोंका सी,कुछ दूर चली फिर ठहर गई,
ख़्वाबों का एक बवंडर था,पल भर में सबकुछ बिखर गयी,
जब आंख खुली सुनसान डगर,मानो ये दुनिया ठहर गया,
मैं था गुलशन का शहजादा,वो क्या ठहरी सब ठहर गया|
वो जश्न मनाती दुनियाँ में,में शोक में डूबा एक राही,
मैं भूल गया था जीवन में,सब मतलब के ही हैं साथी,
मरने के अगर बहाने सौ,जीने के लाख ठिखाने हैं,
सागर उस पार अगर जाना,दुनियाँ में और भी नावें हैं,
वो आज भटकती नदियों में,मैं सागर पार बिंहशता हूँ,
सच कई ठिकाने जीने के,मैं कल से ज्यादा हँसता हूँ,
वह दूर से देख तरसती है पदचिन्ह जिसे मैं छोड़ा हूँ,
मैं कल भी रेस का घोड़ा था,मैं आज भी रेस का घोडा हूँ|

!!! मधुसूदन !!!

43 thoughts on “Jeene ke Kayee Thikaane

  1. अनुज मधुसूदन
    तुम्हारी कविता पढ़कर मज़ा आ गया |
    “एक मस्त हवा का झोंका ” यानि की सरल शब्दों में “इश्क़, मोहोब्बत, प्यार”
    तुम्हारी लेखनी कहती है की तुम मोहब्बत में हलाल हुए हो ????? एक टूटे दिल से ही इतने शानदार जज़्बात अंकुरित होते है 🙂

    Liked by 1 person

    1. Sukriya apkaa apne pasand kiya aur hame saraahaa…saath hi pahli baar kisi ne anuj kahaa wordpress par jisse khushi foguni ho gayee.waise hame bachpan se hi dard bhare mukesh ji sarikhe gaaykon kaa gaanaa kaafi pasand hai saaath hi kuchh bhi likhna chaahun ant dard se hi hota hai.aur dusri sach ki shaadi ke pahle maine kisi se pyaar nahi kiyaa…aur ab to mera beta pyar karne lagaa hai.saath hi abhi tak hame sabne pyaar diyaa hai…kabhi mera dil nahin tuta.bahut khushi huyee aapse judkar…aise hi ashirwaad barshaate rahen.

      Liked by 1 person

Leave a reply to रंगबिरंगे विचार(विमला की कलम) Cancel reply